Nag Panchami kyun manaya jata hai:आज नागपंचमी है आज का दिन भगवान भोलेनाथ के साथ साथ नागदेवता को समर्पित है आज के दिन नाग देवता की पूजा करने से सरीर के सारे तांत्रिक दोष मिट जाते है और जीवन सुखमय हो जाता है , पौराणिक काल से ही सनातन धर्म मे इस दिन नाग की पूजा का महत्व है । नागपंचमी का फेस्टिवल प्रतिवर्स श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है । जो इस बार 2 अगस्त को है खास संयोग यह है की मंगलवार पड़ रहा है और हनुमान जी का दिन भी है और हनुमान जी भोलेनाथ के अवतार भी है ,यह दिवस रुद्रभिषेक के लिए काफी उत्तम माना गया हैँ ।
अब हम जानेगे की प्रतिवर्ष नागपंचमी क्यूँ मनाते है ?
नागपंचमी कथा 1 :पौराणिक कथाओं के अनुसार:कथा1: एक बार एक किसान था जो की अपने परिवार के साथ रहता था उसके दो पुत्र और एक पुत्री थी । सावन का महीना था किसान अपने खेत की तैयारी मे लगा हुआ था। किसान अपने खेत की जुताई कर रहा था और उसका हल देशी था और गहरी जुताई कर रहा था अचानक उसके हल के नीचे नागिन के तीन बच्चे आ गए और वे मर गए लेकिन नागिन किसी तरह से बच गयी थी। किसान के इस अंजान कृत्य से सपोलो की मृत्त्यु हो जाने से उसने अपने बच्चो का प्रतिसोध लेने का प्रण किया ।
एक रात किसान का परिवार सो रहा था । तभी नागिन ने रात मे आकार उसकी पुत्री को छोड़कर सभी को डश लिया था जिससे सभी की मृत्यु हो गयी थी , अगले दिन पुनः नागिन कन्या को डसने आती है लेकिन लड़की ने नागिन को देखते ही दूध से भरा पात्र नागिन को अर्पित किया ,और अपने पिता की इस भूल के लिए छमा मांगी । तभी नागिन को उस लड़की पर दया आ गयी और अपने दुख को भूलकर कन्या से वरदान मांगने को कहा , तभी किसान की उस पुत्री ने अपने परिवार को पुनः जीवित करने का वरदान मांगा और नागिन ने उसे वरदान दिया । किसान के परिवार की जीवित होने की बात पूरे गाव फैल गयी और इस चमत्कार के बाद नाग देवता की पूजा की जाने लगी ।
नागपंचमी कथा 2 : यह कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है जो की द्वापर युग के अंत समय की बात है महाभारत युद्ध के अंत के पश्चात अभिमन्यु के पुत्र राजा परिछ्ति की मृत्यु सर्पदंश की वजह से हुई थी। जिसपर उनके पुत्र राजा जनमेजय ने नागों से बदला लेने के लिए सर्व सत्र यज्ञ सुरू कर दिया यज्ञ सुरू होते ही सभी सर्प आकर अग्नि मे भस्म होने लगे नागों के अस्तित्व को बचाने के लिए ऋषि आस्तिक मुनि ने यज्ञ को रुकवा दिया और नागों के अस्तित्व को मिटने से बचा लिया क्यूंकी यह दिन भी श्रावण महीने की शुक्ल पक्छ की पंचमी तिथि ही थी इसीलिए नागो की रक्षा के उपलक्ष्य मे आज के ही नाग पंचमी मनाई जाने लगी ।
क्यूँ चढ़ाते है सापों को दूध?
आस्तिक मुनि ने आग से जले हुये सापों के ऊपर कच्चा दूध डालकर उन्हे ठंढा किया था , इसलिए सापों को दूध अर्पित करने की परंपरा आज के ही दिन से सुरू हुई थी ।
नागपंचमी की पूजा : नाग की प्रतिमा पर चन्दन ,गंध से युक्त जल चढ़ा कर नागदेवता को लड्डू और मालपूए का भोग लगाएँ । इसके बाद चन्दन हल्दी कुमकुम सिंदूर बेलपत्र आभूसण पुष्पमाला ,द्रव्य ;धूप, दीप, ऋतुफल, और पान का पत्ता चढ़ाएँ उसके बाद आरती करें । शाम के समाया नागदेवता की प्रतिमा की प[ऊज करके ही बरत तोड़े फिर फलाहार ग्रहण करें।